भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

विचार-3 / मथुरा नाथ सिंह ‘रानीपुरी’

Kavita Kosh से
Rahul Shivay (चर्चा | योगदान) द्वारा परिवर्तित 20:25, 18 सितम्बर 2017 का अवतरण ('{{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=मथुरा नाथ सिंह 'रानीपुरी' |अनुवाद...' के साथ नया पृष्ठ बनाया)

(अंतर) ← पुराना अवतरण | वर्तमान अवतरण (अंतर) | नया अवतरण → (अंतर)
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज

25.
यहेॅ आग्रह
सद्गुण केॅ सदा
करोॅ संग्रह।

26.
ऐलै प्रभात
खूनी मनोवृत्ति रोॅ
ई शुरूआत।

27.
आयकोॅ नारी
मदोॅ पर की नाय
भेलै भारी।

28.
छै मजबूर
गाछी के कटतैं ई
छाया सें दूर।

29.
ई अफसोस
जनता बदहोश
नेता केॅ जोश।

30.
यहेॅ सुधार
जात-पात के नामंे
लड़ै बिहार।

31.
शिक्षा सुधार
अनपढ़ नेता के
करोॅ दीदार।

32.
देश सुधार
नेता बढ़ावै देखोॅ
ई भ्रष्टाचार।

33.
हुवोॅ नी खुश
नेता की नै लै छै
पीछू सें घूस!

34.
यहेॅ चुनाव
आदमी-आदमी में
करै तनाव!

35.
ई मतदान
जात-पात ले-लेॅ ई
ऐलै तूफान।

36.
छेकै सुधार
सौ में सत्तर आजोॅ
छै नी लाचार।