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कवि / अनिरुद्ध प्रसाद विमल
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कवि को
शांत, निश्चल देखकर
वे चारों
चार तरफ से आए
एक ने कहा
कवि सो रहा है
दूसरे ने कहा
कवि संज्ञाशून्य हो गया है
तीसरे ने कहा
कवि मर गया
इस तीसरे की बात सुन कर
चौथे ने इसकी नासमझी पर
हँसते हुए कहा-
कवि जिन्दा है
कवि कभी नहीं मरता।