Last modified on 12 अक्टूबर 2017, at 15:28

टैटू / निधि सक्सेना

Anupama Pathak (चर्चा | योगदान) द्वारा परिवर्तित 15:28, 12 अक्टूबर 2017 का अवतरण ('{{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=निधि सक्सेना |अनुवादक= |संग्रह= }} {{KK...' के साथ नया पृष्ठ बनाया)

(अंतर) ← पुराना अवतरण | वर्तमान अवतरण (अंतर) | नया अवतरण → (अंतर)

अपनी बाँह पर
जब अपना ही नाम गुदवा कर आई वो
तो सबने खूब हँसी ठट्ठा किया
कोई भला खुद के नाम का टैटू बनवाता है क्या

अरे अपने हाथ पर तो उनका नाम गुदवाया जाता है
जिनसे प्रेम हो
जैसे
पति
या बच्चे
या कोई धार्मिक चिन्ह
या कोई प्रिय पात्र
या कोई खूबसूरत डिज़ाइन बनवाती
या कोई औचित्यपूर्ण शब्द लिखवाती

क्या तू अनपढ़ है
कि खो जाने पर अपना हाथ दिखायेगी??
या कि अपना नाम भूल गई
जो यहाँ बाँह पर गुदवा लिया??

हामी भर कर कहने लगी
भूल ही तो गई थी अपना नाम
इसीलिए गुदवाया
कि याद रहे
मेरे नाम का भी एक अस्तित्व है
अलहदा

पति और बच्चों के संग
मुझे खुद से भी प्रेम है

देखो सबका भाग्य सँवारते सँवारते
हाथ की रेखायें भी धुंधली हो गई हैं

कि अब इनमें जितना भी भाग्य शेष है
ये मेरे लिए है
अलहदा

थोड़ी सी जिन्दगी अलहदा रखना
ग़ज़ भर धरती नाप लेना
क्षितिज को आँखो से छू लेना
कि थोड़ा सा जी लेना
कहो कोई हर्ज है क्या??