Last modified on 13 अक्टूबर 2017, at 14:33

जंग जारी है / दिनेश श्रीवास्तव

Anupama Pathak (चर्चा | योगदान) द्वारा परिवर्तित 14:33, 13 अक्टूबर 2017 का अवतरण ('{{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=दिनेश श्रीवास्तव |अनुवादक= |संग्र...' के साथ नया पृष्ठ बनाया)

(अंतर) ← पुराना अवतरण | वर्तमान अवतरण (अंतर) | नया अवतरण → (अंतर)

कहते हैं कि
जब जंग होती है
तब सबसे पहले
सच की मौत होती है.

यहां तो रोज़ाना
सच पर बमबारी होती है.
और खाईयों में दुबका सच
जहाजों के गुज़र जाने का
इंतज़ार करता है.

वह सोचता है कि
इससे वह बच जायेगा.
पर सच तो यह है कि
अपने ही मलबों के ढेर में
सच हमेशा के लिए
दब जाएगा.

(लोक-बोध, कलकत्ता, दिसंबर १९८२)