भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए
अनंत भाषा / पूनम अरोड़ा 'श्री श्री'
Kavita Kosh से
Anupama Pathak (चर्चा | योगदान) द्वारा परिवर्तित 08:14, 15 अक्टूबर 2017 का अवतरण ('{{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=पूनम अरोड़ा 'श्री श्री' |अनुवादक= |...' के साथ नया पृष्ठ बनाया)
अगर प्रेम एक दरख़्त है
अपनी काया में
तो मैं एक आग्रह पात्र हूँ
तुम्हारी नींद में निर्वाण के खलल का.
मुझे धीमे आवेग में पसंद है
मृत्यु की अनंत भाषा !