Last modified on 19 अक्टूबर 2017, at 16:01

वे सभी मृत्यु तक प्रचारक रहे / सुरेश चंद्रा

Anupama Pathak (चर्चा | योगदान) द्वारा परिवर्तित 16:01, 19 अक्टूबर 2017 का अवतरण ('{{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=सुरेश चंद्रा |अनुवादक= |संग्रह= }} {{KK...' के साथ नया पृष्ठ बनाया)

(अंतर) ← पुराना अवतरण | वर्तमान अवतरण (अंतर) | नया अवतरण → (अंतर)

वे सभी मृत्यु तक प्रचारक रहे
जन्म से उनका, परिचय नहीं रहा

वे स्वयं के परिचारक हुए
और उन्होने सौंप दिया अपना आयुष्य
दिखने की सनक को
क्यूंकि वो हो नहीं सकते थे

उनकी योग्यता रही, केवल उनका भ्रम
जो उन्हे सर्वश्रेष्ठ घोषित करती रही !!