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आशावादी / नाज़िम हिक़मत

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जब वह छोटा था तो उसने कभी नहीं नोचे मक्खियों के पर,
न ही कभी टीन के डिब्बे बांधे बिल्लियों की पूंछ से,
माचिस की डिब्बियों में कभी नहीं बंद किया कीड़ों को,
न ही नष्ट किया कभी चींटियों की बांबी को.
वह बड़ा हुआ तो
ये सारी चीजें उसके साथ की गयीं.
जब वह मृत्युशय्या पर था
तो उसने मुझसे एक कविता सुनाने के लिए कहा,
सूरज और समुद्र के बारे में,
परमाणु रिएक्टरों और सेटलाइटों के बारे में,
मानव जाति की महानतम उपलब्धियों के बारे में.
                                                                 6 दिसंबर 1958
                                                                                              बाकू

अनुवाद : मनोज पटेल