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तितली / चीनुआ एचेबे / राजेश चन्द्र

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रफ़्तार हिंसा है
ताक़त हिंसा है
प्रभाव हिंसा है

तितली हल्केपन में ही
ढूँढ़ती है सुरक्षा,
गुरुत्वहीन, चंचल उड़ान में

या कि किसी चौराहे पर
अजीबोग़रीब रोशनियों के बीच
किसी चमकीले राजपथ पर
पेड़ों से झरते पत्तों के दरम्यान

हमारे सम्मिलित प्रान्त
जब इकट्ठा होते हैं

मैं पर्याप्त ताक़त बटोर कर आता हूँ
दोनों के हिसाब से

भली तितली भी
अपनी पीत आभा न्योछावर कर देती है

मेरी सख़्त सिलिकॉन की ढाल के ऊपर

अँग्रेज़ी से अनुवाद : राजेश चन्द्र