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सुख / बिंदु कुमारी
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सुख
क्षणभंगुर छेकै
ई बात सब्भैं जानै छै
तनिटा सुख लेली
इतराबै छै लोग कहिनेॅ
सुख
महज ओतन्हैं देर लेली रहै छै
जेतना देर तांय
अन्हारोॅ मेॅ
हाथोॅ मेॅ जलतें होलोॅ
दिया सलाय रोॅ काठी।