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फागुन रोॅ फाग / राधेश्याम चौधरी

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इन्द्रधनुषी रंग रंगेॅ लागलै।
गुलाल-अबीर खेलेॅ लागलै।।
राधा गल्ली-गल्ली रास रचावें लागलै।
कान्हा रोॅ फागुन मेॅ याद सतावेॅ लागलै।।
गोकुल रोॅ सीख सब मिली फाग गावें लागलै।
मुरली रोॅ धुन संग अंग-अंग थिरकेॅ लागलै।।
मोर पंख सबकेॅ भावेॅ लागलै।
पुऑे-पकवान खाय आऐ खिलावेॅ लागलै।।
राधा गल्ली-गल्ली शोर मचावेॅ लागलै।
होली मेॅ सबनें गल्ला सेॅ गल्ला मिलावेॅ लागलै।
सागर मेॅ सरिता समाबेॅ लागलै।
एकता रोॅ मिली फाग गावेॅ लागलै।।