Last modified on 2 नवम्बर 2017, at 19:32

फागुन रोॅ फाग / राधेश्याम चौधरी

Rahul Shivay (चर्चा | योगदान) द्वारा परिवर्तित 19:32, 2 नवम्बर 2017 का अवतरण ('{{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=राधेश्याम चौधरी |अनुवादक= |संग्रह...' के साथ नया पृष्ठ बनाया)

(अंतर) ← पुराना अवतरण | वर्तमान अवतरण (अंतर) | नया अवतरण → (अंतर)

इन्द्रधनुषी रंग रंगेॅ लागलै।
गुलाल-अबीर खेलेॅ लागलै।।
राधा गल्ली-गल्ली रास रचावें लागलै।
कान्हा रोॅ फागुन मेॅ याद सतावेॅ लागलै।।
गोकुल रोॅ सीख सब मिली फाग गावें लागलै।
मुरली रोॅ धुन संग अंग-अंग थिरकेॅ लागलै।।
मोर पंख सबकेॅ भावेॅ लागलै।
पुऑे-पकवान खाय आऐ खिलावेॅ लागलै।।
राधा गल्ली-गल्ली शोर मचावेॅ लागलै।
होली मेॅ सबनें गल्ला सेॅ गल्ला मिलावेॅ लागलै।
सागर मेॅ सरिता समाबेॅ लागलै।
एकता रोॅ मिली फाग गावेॅ लागलै।।