भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

कोयला खदान / राधेश्याम चौधरी

Kavita Kosh से
Rahul Shivay (चर्चा | योगदान) द्वारा परिवर्तित 19:33, 2 नवम्बर 2017 का अवतरण ('{{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=राधेश्याम चौधरी |अनुवादक= |संग्रह...' के साथ नया पृष्ठ बनाया)

(अंतर) ← पुराना अवतरण | वर्तमान अवतरण (अंतर) | नया अवतरण → (अंतर)
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज

ललमटिया मेॅ कोयला खान छै
देशोॅ रोॅ शान छै।
ई.सी.एल. रोॅ जान छै
उत्पादन ढेर करै रोॅ फरमान छै।
एन.टी.पी.सी. फरक्का,
आरो कहल गॉव रोॅ पहचान छै।
बिजली सगरोॅ दै छै हरदम
एशिया महादेश मेॅ पहिलोॅ स्थान छै।
पहाड़ों सेॅ चारों ओर घिरलोॅ स्थान छै
चहूँ ओर राजमल कोयला परियोजना रोॅ गुणगान छै।
बड़का-बड़का कोयला रोॅ चट्टान छै,
जिंनगी जियै रोॅ ‘बरदान’ छै।