भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए
होली मेॅ चोली / राधेश्याम चौधरी
Kavita Kosh से
Rahul Shivay (चर्चा | योगदान) द्वारा परिवर्तित 19:38, 2 नवम्बर 2017 का अवतरण ('{{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=राधेश्याम चौधरी |अनुवादक= |संग्रह...' के साथ नया पृष्ठ बनाया)
तोरा होली मेॅ चोली सिलाय देयौं हे।
तोरा राजधानी घुमाय देभौं हे।।
चन्द्रवदन छै तोरोॅ शरीर-हे।
तोरा रंग-गुलाल लगाय देभौं हे।।
वृन्दावन रोॅ कुँजगली मेॅ।
तोरा संग रास रचाय लेभौं हे।।
दिल्ली सेॅ कलकत्ता पहुँचाय देभौं हे।
तोरा लाल किला, आरो हबड़ा पुल देखाय देभौं हे।।
तोरोॅ नैना सेॅ नैना मिलाय लेभौं हे।
तोरा धीरे-धीरे फुसलाय लेभौं हे।।