सड़कोॅ के दोनों बाजु
गाछी के कतार,
लगै छै जेना
सड़कें करनें दै शृंगार।
देखी केॅ हरियाली
मिटै छै लोगोॅ के थकान
जेना पावी गेलोॅ रहेॅ
घरोॅ के दलान।
चिड़ियां सिनी जेरा के जेरा
डालने रहै छै गाछी पेॅ डेरा,
सुनावै छै मिट्ठोॅ-मिट्ठोॅ गीत;
लगै जेना बटोही के छकै मीत।
रौद सें गाछी दै छै राहत।
जाड़ा हुवेॅ या गरमी
पर्यटकोॅ के करै छै स्वागत।
इ गाछ-बिरीछपुर-बस्ती के कनियान के
माँगोॅ के सिन्दूर,
देखथैं, मन श्रद्धा सें अवनत
क्रुर भाव सब दूर!