ओ मेरे वतन, ओ मेरे वतन, ओ मेरे वतन
मेरे सर पर वो टोपी न रही
जो तेरे देस से लाया था
पाँवों में वो अब जूते भी नहीं
वाक़िफ़ थे जो तेरी राहों से
मेरा आख़िरी कुर्ता चाक हुआ
तेरे शहर में जो सिलवाया था
अब तेरी झलक
बस, उड़ती हुई रंगत है मेरे बालों की
या झुर्रियाँ मेरे माथे पर
या मेरा टूटा हुआ दिल है
वा मेरे वतन, वा मेरे वतन, वा मेरे वतन