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आम का मौसम / राजीव रंजन
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सुना है आमों का मौसम आया है।
कब से अथक निगाहें मेरी ढूंढ़ रही
वह शहर, वह गली जहाँ
’आम’ का मौसम आया है।
वर्शों के बाद भी मुझे उस ’आम’
के मौसम की परछाई भी नहीं मिली।
सदियों से यहाँ सालों भर सिर्फ
’खास’ का ही मौसम रहता है।
ऐसे भी जो ’राजा’ होता है
वह ’आम’ नहीं होता और
जो ’आम’ होता है
वर ’राजा’ नहीं होता।