भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

एक जीवन तुम जीना चाहते थे / रुस्तम

Kavita Kosh से
अनिल जनविजय (चर्चा | योगदान) द्वारा परिवर्तित 15:19, 26 नवम्बर 2017 का अवतरण ('{{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=रुस्तम |अनुवादक= |संग्रह= }} {{KKCatKavita}} <poe...' के साथ नया पृष्ठ बनाया)

(अंतर) ← पुराना अवतरण | वर्तमान अवतरण (अंतर) | नया अवतरण → (अंतर)
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज

 
एक जीवन तुम जीना चाहते थे।
एक जीवन तुमने जिया।
वे दोनों एक-दूसरे से भिन्न थे।

पर अब जीवन तुच्छ लगता है मुझे।
अब मुझे लगता है
कि उसे जीना
कोई बड़ी घटना नहीं।

तुमने
कुछ किया।
कुछ और था जो नहीं किया।
कोई बड़ी घटना नहीं।

कुछ करना —
क्या वह भी तुच्छ नहीं?

या कुछ भी
नहीं करना?