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आफै भुले / दिलिप योन्जन

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आफै भुले आफ्नो खुसी
निस्ठुरीको माया जालमा परी।
ढुखि रहने मुटु पाए
बाचुन्जेली सधै-सधै भरी।।

कसरी बुझ्नु मनको कुरा
सधै हुन्थि हासी-खुसी।
हृदयमा तिनको तस्बिर थियो
लगी छाडी मुटु चिरी।।

कती कठोर मन तिनको
कसम तोडी एकै चोटी।
कस्तो माया लाएको नी
मर्नु न बाच्नु पारी छोडी।।