भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए
नारी तु नारायणी / सत्यनारायण पांडेय
Kavita Kosh से
Anupama Pathak (चर्चा | योगदान) द्वारा परिवर्तित 10:38, 10 दिसम्बर 2017 का अवतरण ('{{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=सत्यनारायण पांडेय |अनुवादक= |संग्...' के साथ नया पृष्ठ बनाया)
नारीनिन्दा न करनीया
नारी एव नरानां जननी
कथितमपि "यत्रनार्यस्तु पुज्यन्ते-
रमन्ते तत्र दवता"
रमन्ते
तत्र देवता!
नार्यः एव भवन्ति माता, भगिनि, श्वसा।
नारी एव जगज्जननी
सर्वेषां सर्वदुखः हारिणि
सर्व सुख कारिणि
नारी तु नारायणी!
नारी तु नारायणी।