भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

खम्मा मारा नंदजी ना लाल / गुजराती लोक गरबा

Kavita Kosh से
Adiya (चर्चा) द्वारा परिवर्तित 07:03, 27 जून 2008 का अवतरण (New page: खम्मा मारा नंदजी ना लाल मोरली क्यां रे वगाडी हूँ तो रे सूती थी मारा शयन...)

(अंतर) ← पुराना अवतरण | वर्तमान अवतरण (अंतर) | नया अवतरण → (अंतर)
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज

खम्मा मारा नंदजी ना लाल

मोरली क्यां रे वगाडी


हूँ तो रे सूती थी मारा शयन भवन मां

सांभळ्यो मोरली नो राग

मोरली क्यां रे वगाडी

खम्मा मारा नंदजी ना लाल

मोरली क्यां रे वगाडी...


भर नींदर माथी झबकी ने जागी

भूली गई हूँ तो भान शान

मोरली क्यां रे वगाडी

खम्मा मारा नंदजी ना लाल

मोरली क्यां रे वगाडी...