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घर की थीं ताबानी दादी / दीपक शर्मा 'दीप'

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घर की थीं ताबानी दादी
आन्ही-दादा, पानी-दादी

ख़ूँटा,खुर्पी,पुअरा,लेजुर
कोअर,कांटा,सानी दादी

फुकनी,चूल्हा,खूँटी,सुर्ती
सरसो,डिबरी,घानी दादी

सबका सानी है दुनिया में
लेकिन थीं ला-सानी दादी

खर को सोना करने वाली
'जस्ता-पीतल-चानी' दादी

सीधी लाठी थीं तब पहले,
अब तो हुई कमानी दादी

हँसी-ख़ुशी दो देवरानी थीं
दोनों की जेठानी "दादी"

नात नतेरुहा बचवा बेटवा
सब की एक ज़ुबानी दादी

इसकी उसकी काना फूसी
इन सब से अनजानी दादी

दादा जी की पगड़ी,आंखें
'नाक-कान' 'पेशानी' दादी

फटही-लुगरी में भी साहब
क्या लगती थीं 'रानी' दादी