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दर्पण को देखा तूने / इंदीवर

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खेलो ना मेरे दिल से, ओ मेरे साजना, (ओ साजना -२)

खेलो ना, खेलो ना, मेरे दिल से, खेलो ना ...


मुस्कुराके देखते तो हो मुझे, ग़म है किस लिये निगाह में,

मंज़िल अपनी तुम अलग बसाओगे, मुझको छोड़ दोगे राह में ,

प्यार क्या दिल्लगी, प्यार क्या खेल है खेलो ना ...


क्यूँ नज़र मिलाई थी लगाव से, हँसके दिल मेरा लिया था क्यूँ ,

क्यूँ मिले थे ज़िन्दगी के मोड़ पर, मुझको आसरा दिया था क्यूँ

प्यार क्या दिल्लगी, प्यार क्या खेल है खेलो ना ...


खेलो ना मेरे दिल से, ओ मेरे साजना...........