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तुम न होगे / सैयद शहरोज़ क़मर
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तुम न होगे तो क्या नमी होगी
बस, अधूरी ये ज़मीं होगी
दर्द छुपाने से हल नहीं होगा
अन्दर-अन्दर तह जमी होगी
सतह पर तो कुछ नहीं होगा
अन्दर-अन्दर बस, ठनी होगी
दुश्मनों में सब सहीहोगा
दोस्तों में तो सब कमी होगी
15.04.97