कवि राजेश शर्मा की स्मृति में
आसमान को ठेंगा दिखाने के
मुग़ालते में इमारत
बोधगयामें ज़ब्त नर-कंकाल की
जीवित प्रदर्शनी
'एक कवि गिरकर मर गए'
साक्षी समय ने कहा
नहीं !! वे सहस्त्रों मरकर गिरे।
10.08.1997
कवि राजेश शर्मा की स्मृति में
आसमान को ठेंगा दिखाने के
मुग़ालते में इमारत
बोधगयामें ज़ब्त नर-कंकाल की
जीवित प्रदर्शनी
'एक कवि गिरकर मर गए'
साक्षी समय ने कहा
नहीं !! वे सहस्त्रों मरकर गिरे।
10.08.1997