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सी-सा / कन्हैयालाल मत्त

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’सी-सा’ सिर्फ़ ढेंकली-सा है,
खेल बहुत ही मज़ेदार है।
वही खेल सकता है इसपर,
उछल-कूद से जिसे प्यार है।

एक बड़ा लम्बा-सा तख़्ता,
खड़ी कील पर ठुका हुआ है।
जिसका एक सिरा ऊँचा है,
लेकिन दूसरा झुका हुआ है।

एक बार में दो बच्चे ही,
इस पर चड्‍ढू ले पाते हैं।
ऊपर से जब नीचे आते,
पैरों के बल रुक जाते हैं।

झटपट एक टहोका देकर,
उछल-उछल जाते हैं ऊपर।
तख़्ता कसकर पकड़े रहते,
ताकि न गिर जाएँ वे भू पर।