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हाइकु / ज्ञानेन्द्रपति
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देवता हुए
सामंत सहायक
राजतंत्र में
मिटता नहीं
सिरजा जाता जिसे
एक बार
गाते न दिखा
सुना गया हमेशा
काला झींगुर
नाम दुलारी
दुखों की दुलारी है
जमादारिन
पनही नहीं
पाँव में, गले में
पगहा है भारी
मेघ बोझिल
मन भर मौसम
छूटा अकेला