भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए
उजाले का तालमेल / विजय चोरमारे / टीकम शेखावत
Kavita Kosh से
अनिल जनविजय (चर्चा | योगदान) द्वारा परिवर्तित 00:51, 5 फ़रवरी 2018 का अवतरण ('{{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=विजय चोरमारे |अनुवादक=टीकम शेखाव...' के साथ नया पृष्ठ बनाया)
भीतर का उजाला
कम होने पर
साफ़ दिखता है बाहर का उजाला
बाहर का उजाला
तेज़ होने पर
घना होने लगता है भीतर अन्धेरा
भीतर से बाहर का
बाहर से भीतर का
दिखना चाहिए तेज़ उजाला
कैसे साधा जाए
दोनों ही ओर के
उजाले का तालमेल?
मूल मराठी से अनुवाद — टीकम शेखावत