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सान्त्वना की प्रार्थना / विजय चोरमारे / टीकम शेखावत

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अन्धेरी रात में
दुखों का सैलाब आता है
धावा बोलते हुए
सपनों सहित सब कुछ
तहस-नहस कर
अन्धेरे रास्तों से ग़ायब हो जाता है

सान्त्वना की प्रार्थनां बनकर
आती हो तुम
सुबह होने से पहले
माँ की तरह !

मूल मराठी से अनुवाद — टीकम शेखावत