अन्धेरी रात में
दुखों का सैलाब आता है
धावा बोलते हुए
सपनों सहित सब कुछ
तहस-नहस कर
अन्धेरे रास्तों से ग़ायब हो जाता है
सान्त्वना की प्रार्थनां बनकर
आती हो तुम
सुबह होने से पहले
माँ की तरह !
मूल मराठी से अनुवाद — टीकम शेखावत
अन्धेरी रात में
दुखों का सैलाब आता है
धावा बोलते हुए
सपनों सहित सब कुछ
तहस-नहस कर
अन्धेरे रास्तों से ग़ायब हो जाता है
सान्त्वना की प्रार्थनां बनकर
आती हो तुम
सुबह होने से पहले
माँ की तरह !
मूल मराठी से अनुवाद — टीकम शेखावत