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आँख में नमी / ज्योत्स्ना शर्मा

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11
चले भी आओ!
चातक हुआ मन
न तरसाओ.
12
यूँ तो वीरानी
फैली है चारों ओर
भीतर शोर!
13
आँख में नमी
कहो क्या खलती है?
हमारी कमी!
14
नन्हें क़दम
चलके आओ धूप
मेरे आँगन!
15
बोझ का मारा
फट पड़ता दिल
जैसे बादल!
16
धूप, छाँव में
ख़ुशबू, फूल कभी-
शूल पाँव में!
17
वादे आबाद
बेचैन करती है
आवारा याद!
18
पान-गिलौरी
खूब रंग लाती है
याद निगोड़ी!
19
किसकी याद?
भोर के मुख पर
सुख-संवाद!
20
एक चाहत
सुना गई दुख को
सुख की बात!