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झाँझी का गीत / कन्हैयालाल मत्त

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रूप सजा कर निकली झाँझी,
देखो शान निराली !

नौ मन पोती, दस मन खाती,
चार घड़े पानी पी जाती,
छुई-मुई-सी है शरमाती,
सौ-सौ नखरे वाली,
देखो शान निराली !

रंग-बिरंगा घूँघट डाले,
टिम-टिम, टिम-टिम, दिया सम्हाले
चली जा रही है बंगाले,
सपनों की मतवाली,
देखो शान निराली !

बंगाले के कोस करारे,
आधे खट्टे, आधे खारे,
टेसू राजा नहीं पधारे,
धूनी कहाँ रमाली?
देखो शान निराली !

टेसू जी की उल्टी माया,
बिना सगाई ब्याह रचाया,
लड्डू बँटे न ढोल बजाया
सस्ती बात बना ली,
देखो शान निराली !

टेसू राजा बड़े भगोड़े,
बहुत नहीं तो थोड़े-थोड़े,
सीधे जा पहुँचे अल्मोड़े,
ले बन्दूक दुनाली,
देखो शान निराली !

अल्मोड़े से बादल आए,
परदेशी की ख़बर न लाए,,
टेसू राजा हुए पराए,
ब्याह रचाकर जाली,
देखो शान निराली !