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जब तक साँस चलती जीना पड़ेगा ही / सुधेश
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जब तक साँस चलती जीना पड़ेगा ही
जीने के लिए श्रम भी करना पड़ेगा ही ।
अमरित खोजते फिर तो रहे हैं हम
जीवन ज़हर भी पर पीना पड़ेगा ही ।
जीने के लिए सामान तो हैं बहुत से
इक दिन मगर सब को मरना पड़ेगा ही ।
बैसाखी लिए क्या पर्वत चढ़ोगे तुम
अपने पाँव पर तो चलना पड़ेगा ही ।
मर-मर जी रहे हैं जग में हज़ारों ही
जीने के लिए पर मरना पड़ेगा ही ।