Last modified on 15 फ़रवरी 2018, at 17:29

प्यार करो तो पाओ प्यार / सुधेश

अनिल जनविजय (चर्चा | योगदान) द्वारा परिवर्तित 17:29, 15 फ़रवरी 2018 का अवतरण ('{{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=सुधेश |अनुवादक= |संग्रह= }} {{KKCatGhazal}} <poem>...' के साथ नया पृष्ठ बनाया)

(अंतर) ← पुराना अवतरण | वर्तमान अवतरण (अंतर) | नया अवतरण → (अंतर)

प्यार करो तो पाओ प्यार
कोई न देता मुफ़्त उधार।

आँख बताती मन में चोर
प्यार न बिकता हाट बजार।

यार चले है शीश उठाय
मैं न चलूँ क्यों सीना उभार।

चाह तुम्हारी पाओ संसार
सीख लो तुम भी देना यार।

ख़ाक शऊर पै माँगो शराब
दिल में तमन्ना चढ़े ख़ुमार।