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जिन्दगी हादसों पर भारी है / विजय वाते

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काम सांसो का फिर भी ज़ारी है| जिन्दगी हादसों पर भारी है|

मन बदलते है मौसमो की तरह, ये अमावास की हिस्सेदारी है|

आज दुनिया में सब नशे में हैं, मुझेपे हलकी-सी कुछ खुमारी है|

जिसके हाथो से आईना फिसला, किरंचें भी उसने ही बुहारी है|

ख्वाब आँखों में दिल में घोडें थे, हमने वो जिंदगी गुज़री है|

मत हँसो आज तुम विजय वाते, ये हँसी आँसुओ पर भरी है|