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निर्मित नीड़ नए जीवन का / राहुल शिवाय

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उठा सूर्य प्राची में ऊपर
चलो विहग चुनने को तिनका
एक-एक तिनके से होगा
निर्मित नीड़ नए जीवन का

आँधी ने कल रात उजाड़ा
कितनी बार उजाड़ा होगा
साहस ने उजड़े, बिखरे को
बारम्बार सँवारा होगा
नित्य निशा है पीर झेलती
आवाहन करती नव दिन का

बिना निमंत्रण के आती हैं
पथ में बाधाएँ, विपदाएँ
पतझड़ आने पर जगती हैं
नव बसंत की फिर आशाएँ
क्षोभ त्याग उड़ चलो गगन में
खोल पुनः वातायन मन का

पंख खोल अब उड़ो डाल से
बाधाएँ कर रहीं प्रतीक्षा
देने से पहले जीवन में
सृष्टा लेता सदा परीक्षा
पंखों में आवेग भरो तुम
गति ही प्राण-तत्व सर्जन का

रचनाकाल-13 जुलाई 2017