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नई सदी के तौर-तरीके / राहुल शिवाय

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नई सदी के तौर-तरीके
सीख रहा है गांव

गाय, भैंस, बकरी के बदले
कुत्ते रहते द्वार
चौपालों पर भीड़ कहाँ अब
सबका कारोबार
पक्की सड़कें नहीं बतातीं
भूले-बिसरे ठाँव

दो कमरे का फ्लैट लिया है
लगे कँटीले फूल
तुलसी है घर से विस्थापित
सूखा तना बबूल
बूढा बरगद घर के बाहर
नहीं बची जब छांव

अंग्रेजी के गीत बज रहे
हुआ सभी से प्यार
वहीँ भजन का शोर डरा है
सुन-सुन कर फटकार
ए, बी, सी सुन गया ककहरा
वापस उलटे पांव

रचनाकाल-12 अगस्त 2014