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सारे खेलों में सबसे अच्छा खेल / प्रज्ञा रावत

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दुनिया के सारे खेलों में सबसे अच्छा
खेल घर-घर ही तो है
जिसमें हार-जीत और हाँ-ना से
ज़्यादा जीवन जीने का जश्न है

सारी लड़ाइयों, अच्छाइयों, बुराइयों
के बीच कुछ सबसे ज़्यादा बिखरा है
तो घर ही है

आपाधापी और भागदौड़ से भरे
घर की भी अपनी
शान्ति और तरलता होती है
जहाँ रिश्तों के बीच पानी भरा रहे

घर में निर्जीव लगते से बर्तन
जब बातें करने लगते हैं तो
स्वाद का संगीत उतर आता है
देह से आत्मा तक
घर-माटी की देह ही नहीं नश्वर
अजर-अमर आवरण का गेह भी है।