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जै-जै बोला दि भोला भण्डरि / विजय गौड़

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जै-जै बोला दि भोला भण्डरि,
कष्ट-विपदों तरि,
मनसा पूरण करी....... (कोरस)

ऐँच ह्युंचुलों मा, भोले वास तेरु ....(कोरस)
नंदा-नंदी को सदनि, संग-साथ तेरु...... (कोरस)
देवतों-मनख्यों कु त्वी परहरी..... 
कष्ट-विपदों तरि,
मनसा पूरण करी....... (कोरस)

सजदि बागम्बरि,  तनमा धूलि रमीं, ....(कोरस)
घुरकी हथ हुड़की, गंगा लटुल्यों थमीं, ....(कोरस)
ह्युं कि चदरी तेरा चौंछड़ि  ..... 
कष्ट-विपदों तरि,
मनसा पूरण करी....... (कोरस)

रौलि-गदनि तेरी, धारा-पंद्यरा त्यरा, ....(कोरस)
जून,धरति,सुरज, गैणा,चखुला त्यरा,....(कोरस)
बूंगी वला बि त्यरा, बूंगी देवी त्यरी,
कष्ट-विपदों तरि,
मनसा पूरण करी....... (कोरस)

यिख विराज्यां हरी, उख माँ बूंगी शंकरी, (कोरस)
जौंन दरसन करि, तौंकि विपदा टरि।  (कोरस)
लगदि भगतों कि रैलि मण्डली।।।।।।।
कष्ट-विपदों तरि,
मनसा पूरण करी....... (कोरस)

जै-जै बोला दि भोला भण्डरि,
कष्ट-विपदों तरि,
मनसा पूरण करी....... (कोरस)