Last modified on 13 मार्च 2018, at 20:17

ज़माने में सभी से प्यार के रिश्ते निभाने हैं / रंजना वर्मा

Rahul Shivay (चर्चा | योगदान) द्वारा परिवर्तित 20:17, 13 मार्च 2018 का अवतरण ('{{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=रंजना वर्मा |अनुवादक= |संग्रह=रंग...' के साथ नया पृष्ठ बनाया)

(अंतर) ← पुराना अवतरण | वर्तमान अवतरण (अंतर) | नया अवतरण → (अंतर)

ज़माने में सभी से प्यार के रिश्ते निभाने हैं
करें नफ़रत जो वह दस्तूर तो सारे पुराने हैं

बहुत ही खूबसूरत है हमारे देश की धरती
अभी भी इस जमीं पर सैकड़ों मंज़र सुहाने हैं

हमेशा इश्क़ औरत मर्द का ही तो नहीं किस्सा
वतन के प्यार में हमको दिलो जाँ अब लुटाने हैं

लगाते आग दहशतगर्द हैं अब आशियानों में
हमें आतिश के शोलों से सुलगते घर बचाने हैं

खड़ी हों मुश्किलें कुछ लोग हैं अच्छा समझते ये
हमें इन मुश्किलों के बीच से रस्ते बनाने हैं

फ़क़त माँ बाप रिश्तेदार ही होते नहीं अपने
हमें इस देश की मिट्टी के भी कर्जे चुकाने हैं

ये हिंदुस्तान है प्यारे यहाँ के लोग हैं हिंदी
वतन की वंदना में जो लिखे मीठे तराने हैं