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इस तरह आधी रात / सुन्दरचन्द ठाकुर

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इस तरह आधी रात

कभी न बैठा था खुले आंगन में

पहाड़ों के साये दिखाई दे रहे हैं नदी का शोर सुनाई पड़ रहा है

मेरी आंखों में आत्मा तक नींद नहीं


देखता हूं एक टूटा तारा

कहते हैं उसका दिखना मुरादें पूरी करता है

क्या मांगूं इस तारे से

नौकरी!

दुनिया में क्या इस से दुर्लभ कुछ नहीं


मैं पिता के लिये आरोग्य मांगता हूं

मां के लिये सीने में थोड़ी ठंडक

बहनों के लिये मांगता हूं सुखी गृहस्थी

दुनिया में कोई दूसरा हो मेरे जैसा

ओ टूटे तारे

उसे बख़्श देना तू

नौकरी!