भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए
सर्ग दिदा / धनेश कोठारी
Kavita Kosh से
Abhishek Amber (चर्चा | योगदान) द्वारा परिवर्तित 10:35, 15 मार्च 2018 का अवतरण ('{{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=धनेश कोठारी }} {{KKCatGadhwaliRachna}} <poem> सर्ग दि...' के साथ नया पृष्ठ बनाया)
सर्ग दिदा पाणि पाणि
हमरि विपदा तिन क्य जाणि।
रात रड़िन् डांडा-कांठा
दिन बौगिन् हमरि गाणि।
उंदार दनकि आज-भोळ
उकाळ खुणि खैंचा-ताणि।
बांजा पुंगड़ौं खौड़ कत्यार
सेरौं मा टर्कदीन् स्याणि।
झोंतू जुपलु त्वे ठड्योणा
तेरा ध्यान मा त् राजा राणि।