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रिटारिट / कन्हैयालाल डंडरियाल

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रिटारिट
पैलि त मि सिरफ़ सुणदो छयो
पर अब दयख़णु छौं
कि दुन्या रिटणि च
दुन्यअ चौछडि जून रिटणि च
जिकुड़ी चौछ्ड़ी गाणि रिटणि च
नेतौं चौछ्ड़ी नीति रिटणि च
भर्ती दफ्तरम फालतू रिटणा छिन
फूलूं फर म्वारी रिटणि च
पुंगड्यू ब्वारी रिटणि च
कीली फर बाछी रिटणि च
बजारुम पैसा रिटणु च
आंख्युं अगनै जैंगण रिटणि च
मि द्यख़णु छौं
रिटदी असहाय जिन्दगी तैं
रिटदा आस्था विश्वास तैं
हर प्राणी क चौछडि रिटदि मौत तैं।