कहाँ ढंढ़ूँ मैं अपना जहाँ
अपनी ज़मीं और आसमाँ।
सपनों में अक्सर देखा है
फूल वो खिलता है कहाँ?
तारों से जो झरता है
किसने देखा है वो झरना?
उड़ पाऊँ जिनसे मैं खुलकर
पंख कहो रखे हैं कहाँ?
कहाँ ढंढ़ूँ मैं अपना जहाँ
अपनी ज़मीं और आसमाँ।
सपनों में अक्सर देखा है
फूल वो खिलता है कहाँ?
तारों से जो झरता है
किसने देखा है वो झरना?
उड़ पाऊँ जिनसे मैं खुलकर
पंख कहो रखे हैं कहाँ?