Last modified on 1 अप्रैल 2018, at 20:57

सदा मिलल हे / राम सिंहासन सिंह

Rahul Shivay (चर्चा | योगदान) द्वारा परिवर्तित 20:57, 1 अप्रैल 2018 का अवतरण ('{{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=राम सिंहासन सिंह |अनुवादक= |संग्र...' के साथ नया पृष्ठ बनाया)

(अंतर) ← पुराना अवतरण | वर्तमान अवतरण (अंतर) | नया अवतरण → (अंतर)

हमर हृदय के सदा मिलल हे
सब दिन तोर सहारा!
सूना नभ में भी मिलल हे
यहि से कहीं किनारा!!

एक छोर पर उसा अयलह
फैलल कुछ उजियारा!
औउ उधर से संध्या घिरलह
छयलह फिर अँधियारा!!

यही बीच से कभी चमकलइ
मनुआ में ध्रुव तारा!
अँखियन से भी कभी टपकलइ
आँसू खारा-खारा!!

पाप-पुन्य आउ सुख-दुख में ही
बीतल जीवन सारा!
जाने ठौर कहाँ पर पइबऽ
ई गंगा के धारा!!

एक आसरा तोहरे हे अब
तू ही माँग सँवारा!
तू ही पूरन करबऽ हमर
सपना प्यारा-प्यारा!!