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नया साल / राम सिंहासन सिंह

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नया साल फिर अयलो कोनो
नइके गीत सुनइहऽ
घर-आँगन सब सजतो फुलवा
नइके-नइके लइहऽ।
सूरज के सँग आज धरा पर
फैलल नया उजाला
फुलवन पर रस-लोभी अयलऽ
भौंरा काला-काला।
गुन-गुन राग सुनैलक सबके
मन में प्यार जगैलक
नया साल के स्वागत में
गितवा नया सुनैलक।
चह-चह करते चिड़ियन के दल
आसमान में उड़लइ
मन से मादक प्यार लुटाते
आपस में सब उड़लइ।
तू भी जागऽ, भेद मिटाबऽ
सबके गला लगाबऽ
नया साल फिर अयलय तू भी
नइके गीत सुनाबऽ।
बैर-द्वेस के रहे न फेरा
मनुंआ सवच्छ बनालऽ
स्वर्ग-लोक के नन्दन अइसन
घर-घर खूब सजालऽ।
जन-जन में फिर हँसी-खुसी के
नूतन राग जगाबऽ
कोनो घर अब उजड़ न पाय
अइसन साज सजाबऽ।
इक-इक घर जब सुधरल होवत
देस हमर जग जायत
तभिये तो सुख-सान्ति लहर के
गंगा जी लहरायत।
नया साल हौ, नया-नया कुछ
करके काम दिखाबऽ
भारतमाता के बगिया के
उन्नत खूब बनाबऽ।