भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए
मात यशोदा के गोपाल / रंजना वर्मा
Kavita Kosh से
Rahul Shivay (चर्चा | योगदान) द्वारा परिवर्तित 17:26, 3 अप्रैल 2018 का अवतरण ('{{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=रंजना वर्मा |अनुवादक= |संग्रह=गुं...' के साथ नया पृष्ठ बनाया)
मात यशोदा के गोपाल
राधा के प्यारे नँदलाल
पाया कारागृह में जन्म
समय बहुत था कठिन कराल
जनता झेले अत्याचार
स्वर्ण रत्न राजा के भाल
निरबल के घर डोले भूख
खायें सबल बैठ कर माल
गौ सेवा का कर सम्मान
जन जन को कर दिया निहाल
असुरों का करते संहार
माखन खाते गोपी ग्वाल
मोहन करो दया की दृष्टि
काटो माया के जंजाल
किया कंस का भी विध्वंस
तोड़ दिया रिश्तों का जाल
कृष्णा और सुदामा मीत
किया सभी की सार सँभाल