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तुम दिखाओ न मंजर सुहाने मुझे / रंजना वर्मा

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तुम दिखाओ न मंज़र सुहाने मुझे
अब न भाते खुशी के तराने मुझे

बाद कोशिश हमें नींद आती नहीं
ख़्वाब आते हैं अब तो जगाने मुझे

रस्म तो हो रही दुश्मनी की मगर
पड़ रहे सारे रिश्ते निभाने मुझे

मूँद कर आँख जिन पर भरोसा किया
हर कदम वो लगे आज़माने मुझे

रूह तो इक नयी राह पर चल पड़ी
जिस्म लाखों सुनाये बहाने मुझे

है नये मोड़ जिस जिंदगी ये खड़ी
भूलने होंगे रिश्ते पुराने मुझे

जब अना से मुलाक़ात की यूँ लगा
मिल गये हैं खुशी के खजाने मुझे