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देख उसको ख़ुदा सोचता रह गया / रंजना वर्मा
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देख उसको ख़ुदा सोचता रह गया
उसके होठों पे कुछ काँपता रह गया
जब छिपा बादलों के तले चन्द्रमा
जिस ने देखा उसे देखता रह गया
जिस तरह जी सकें जिंदगी को जियें
आजकल बस यही फ़लसफ़ा रह गया
दहशतों की थी आतिश जली झोंपड़ी
ख्वाब में आशियाना बचा रह गया
दिल मे धड़का किये धड़कनों की तरह
रास्ता हर तुम्हें ढूँढता रह गया
हर तरह हम निभाते रहे दोस्ती
था जुदा जो वो अब भी जुदा रह गया
लिख रहे थे मुहब्बत की हम डायरी
पर अधूरा लिखा हर क़ता रह गया
हो गये नासमझ आज आलिम सभी
अहमकाना हर इक फैसला रह गया
थरथराती हुई बुझ रही है शमा
अब पतंगा नहीं आशना रह गया