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तेरी याद आयी ग़ज़ल बन गयी / रंजना वर्मा

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तेरी याद आयी ग़ज़ल बन गयी
मुहब्बत भरा एक पल बन गयी

गणित जिंदगी का कठिन हो गया
कभी जिन्दगानी सरल बन गयी

कभी झोंपड़ी में पली प्रेमिका
कहीं ताज से मिल महल बन गयी

वफ़ा के लिये जान दी है सदा
कभी बेवफ़ाई भी छल बन गयी

बढ़ी तिश्नगी होंठ चटके हुए
कहीं प्यास गंगा का जल बन गयी

फ़साना जो सदियों पुराना सुना
कहानी वही आजकल बन गयी

हुई देह जख़्मी वतन के लिये
है कुर्बानियों की फ़सल बन गयी