Last modified on 3 अप्रैल 2018, at 22:00

ख्वाहिशों को किताब कर देते / रंजना वर्मा

Rahul Shivay (चर्चा | योगदान) द्वारा परिवर्तित 22:00, 3 अप्रैल 2018 का अवतरण ('{{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=रंजना वर्मा |अनुवादक= |संग्रह=रौश...' के साथ नया पृष्ठ बनाया)

(अंतर) ← पुराना अवतरण | वर्तमान अवतरण (अंतर) | नया अवतरण → (अंतर)

ख्वाहिशों को किताब कर देते
कुछ तो हम भी जनाब कर देते

मेरी तन्हाइयों को छूकर तुम
जिंदगी को गुलाब कर देते

रात बीती कहाँ नहीं पूछा
वर्ना सारा हिसाब कर देते

तू जो घूँघट जरा पलट देता
हम तुझे लाजवाब कर देते

रास्ते अजनबी हुए सारे
दूर सर से हिजाब कर देते

जुगनुओं ने है चाँदनी चुग ली
आरजू को ही ख्वाब कर देते

छू जो लेते मेरे अहसासों को
राज़ सब बेनक़ाब कर देते

जिंदगी के हर एक लम्हे का
तेरी खातिर हिसाब कर देते

प्यार की शम्मा जो होती रौशन
हम उसे आफ़ताब कर देते