भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

कुछ चीज़ें / हावियर हिरॉद / अनिल जनविजय

Kavita Kosh से
अनिल जनविजय (चर्चा | योगदान) द्वारा परिवर्तित 05:13, 9 अप्रैल 2018 का अवतरण ('{{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=हावियर हिरॉद |अनुवादक=अनिल जनविज...' के साथ नया पृष्ठ बनाया)

(अंतर) ← पुराना अवतरण | वर्तमान अवतरण (अंतर) | नया अवतरण → (अंतर)
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज

तितलियाँ, पेड़ और तंग गलियों से
गुज़र कर आना।

मैं तुम्हें कैसे बताऊँ
कि झुटपुटे के समय
तूफ़ान आएगा
और उस तूफ़ान को रोकने के लिए
पेड़ों की सब डगालें
फिर से हरी हो जाएँगी।

फिर रात में
हम उस चौड़ी नदी तक जाएँगे और
इन्कार कर देंगे उनके खुलेपन
और सफ़ाई को मानने से

ख़ून उबलने लगेगा
तुम्हारी खुली और प्रबुद्ध छाती में

तितलियाँ, पेड़
उस तूफ़ान के दौरान
उस साफ़ नदी में
उस तेज़ हवा में
अपने पंखों पर दया करो

तूफ़ान और साफ़ नदी के बीच
हमें छोड़ दिया जाएगा
सुबह झुटपुटे में।

मूल स्पानी से अनुवाद : अनिल जनविजय