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ठुस्स बोल हे / प्रीतम अपछ्यांण

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ठुस्स बोल हे �

 घैंट्या गौ का सौं
निहंगा कुमच्यरूं मा
पोड़्यां राला गौं, बोला कब तलक ?
ह्वेगे रमधोळों मा
मवासी कतगौं कि स्वाहा
रैगे फैमळों मा
अटक्यां कार काजा
ठाठ चकड़ेतूं का
अपखौ कुनेथूं का
हैंस्णा राला दौं, बोला कब तलक?
ब्वारी बेटी गौं की
दबगैनि बोझुं मूण
बैख देसुं गै या
रै ना घौर बूण
ताछळा ताछु मा छन
दरोळा दारु मा छन
फरक्यां हौड़ बौं, बोला कब तलक?
गाड़ू माछि पाणी
धारूं डाळा कै का
निंद मा हम अज्यूं तैं
पुरेणा स्वीणा कैका
बींगा जुल्म होणा
अधिकार क्वो हत्यौणा
छुटणा राला गौं, बोला कब तलक?
ध्याड़ी घर घरूं नी
फांगुड़्यों तोपि सकणी
खैरी टुपक्या टपक्या नी
पोटगी भोरि सकणी
छरड़ा कखि रुप्यों का
झणि कै जाज दुबक्या
छूछा यनु अन्यौ, स्हैल्या कब तलक?